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भारतीय अर्थव्यवस्था |
150 साल की सबसे बड़ी मंदी में जाने का अनुमान :
भारत की अर्थव्यवस्था मंदी के चरम सीमा पर होगी जो आपने 150 सालो में
कभी नहीं देखा होगा इससे पहले भी देश में आर्थिक मंदी हुयी है जो प्रथम 1991 में शुरुआत हुयी थी ।
वर्ष 2008 में
भारत में सबसे बड़ी मंदी हुयी थी इसमें लाखो लोग बेरोजगार हुए थे, व्यवसायियों
का धंधा बंद हो गया था किसान बेबस था , मजदूरों की हालत ख़राब थी तो क्या ये सब का सामना
एक बार फिर भारत को करना पड़ेगा ?
हलाकि भारत सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही
है की भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा फर्क नहीं पड़े। परन्तु अर्थशात्रियों का
कहना है की यदि यह महामारी और लोकडाउन और ज्यादा दिनों तक चला तो सरकार की कम होती
आय , राजकीयकोष घाटा बढ़ता जायेगा जिसे सम्हालना बहुत मुश्किल हो
जायेगा। अगर सरकार खर्च कम भी करती है तो भी राजकीयकोष घटेगा।
सरकार ने अभी भारत की अर्थव्यवस्था को सम्हालने
के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की है जिसमे सभी राज्यों की राज्यसरकारो के लिए
चिकित्सा सम्बन्धी। गरीबो के लिए , किसानो के लिए आदि।
इसके बाद भी इन्हे सहायता राशि और बढ़ाना पड़ेगी
जिससे माध्यम वर्ग परिवारों , प्राइवेट नौकरी पैसा आदमी , मजदूरों
को और लाभ मिल सके। उद्योगों को बढ़ाया देने के लिए राहत पैकेज की जरुरत है।
अगर सरकार ये सब भी कर देती है तो क्या
अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी ?
जी नहीं ये सब न काफी होगा क्यों इससे मात्रा
मजदूर परिवार ,मध्यम वर्ग की रोजी रोटी चलेगी पर रोजगार का क्या
? राजकीयकोष घटेगा आय का साधन नहीं फैक्ट्रिया , व्यबसाय
सब बंद और इन सबसे भारत की अर्थव्यवस्था डगमगानी
निश्चित है।
और हकीकत तो ये है जो सरकारी नौकरी मतलब
संगठित क्षेत्र में है उन्हें तन्खा तो
मिल जाएगी पर प्राइवेट नौकरी , व्यवसायी , मजदूर , धंधा -पानी वालो मतलब असंगठित क्षेत्र का
क्या ?
सरकार जो भी सुबिधा देती है वो असंगठित क्षेत्र
तक नहीं पहुँचती। कितने प्रोजेक्ट (सिविल ,इलेक्ट्रिसिटी , रेलवे , कृषि ,ट्रेवल , अविगेसन , मैकेनिकल
व्हीकल आदि ) बंद हो जायेंगे और जो चालू होने वाले थे वो भी नहीं आएंगे इससे बेरोजगारी
बढ़ेगी , तंगी बढ़ेगी , लोग परेशान होंगे।
और जो मजदूर शहर से वापस अपने गांव को लौट आये है
उनका भोझ क्या ग्रामीण क्षेत्र उठा पड़ेगा, ये दिन दिहाड़ी वाले मजदूर है जो रोज काम करके
कमाते खाते है वो क्या अब शहर वापस जाकर काम कर पाएंगे क्योकि पता नहीं ये बंद कब
तक है ये महामारी कोरोना कब तक रहेगी, लोग इतना परेशान
होकर पाने घर आये है जब तक वो इस महामारी से संतुष्ट नहीं होंगे वापस नहीं
आएंगे। जिसका प्रभाव भी फ़्रास्ट्रीज , इंडस्ट्रीज , सिविल , रोड , इलेक्ट्रिसिटी
आदि सेक्टर में पड़ना निश्चित है।
इससे पहले भारत की बड़ी बैंक जैसे पंजाब नेशन बैंक
, यश बैंक आदि भी डूब
चुकी थी जिसे बाद में आर्थिक सहायता से चालू किया गया है मतलब बैंको की भी स्तिथि
उतनी अच्छी नहीं है इससे वो आपको ज्यादा मद्द्त कर सके।
स्तिथि बहुत ख़राब होने वाली है जो भारतीय भारत के
बाहर काम करते थे उनका क्या जब व्यवसाय प्रभावित होगा तो उनकी नौकरियों में भी
संकट गहराना स्वाभिक है , और वो भी देश से बाहर जाने में डरेंगे। वह की
सरकार भी लोकल लोगो को नौकरी पर रखना पसंद करेगी अपितु बाहर के।
सेन्सेक्स निफ़्टी लगातार गिरता जा रहा है लोगो के
लगाए रुपये की हालत कमजोर है , बाजार में
अविश्वास का प्रभाव है ये।
अब करते है तथ्यों की बात की किसने क्या कहा और
क्या जरुरी कदम उठा सकते है :-
आईएमएफ के पूर्व मुख्य (आईएमएफ) अर्थशास्त्री
रोगोफ का कहना है कि, हम इस महामारी और लोकडाउन के कारण बड़ी मंदी में
जा रहे है, पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है।
इस दुनिया के सभी प्रभावी देश सामने आये और मिलजुल कर कदम उठाये तभी यह
रिकवरी जल्दी हो सकती हैं।
भारत के पूर्व R.B.I. गवर्नर
उर्जित पटेल ने कहा भारत का राजकोषीय घटा बढ़ने वाला है , और अगर
खर्च नहीं भी बढ़ता तो भी राजकोषीय घटा बढ़ेगा क्योकि सरकार की कमाई घटेगी और खर्च
बढ़ेगा।
आईएमएफ एजेंसी | मुंबई/नई
दिल्ली प्रमुख क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने कहा,हम दुनिया भर के अर्थशास्त्री अर्थव्यवस्था पर
पड़ने वाले असर का आंकलन कर रहे है और ये मान रहे है कि यह आने वाले दिनों
मैं छोटे-छोटे उपायों से खत्म नहीं होगा।
अगर हम 2008 की वैश्विक मंदी से तुलना करे जिसमे करोड़ो लोगो
की नौकरिया गयी थी उससे भी बड़ा होने वाला है।
21 दिन के लॉकडाउन का देश में अर्थव्यवस्था पर सबसे
ज्यादा असर :
-इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट जो पहले से आर्थिक सुस्ती
झेल रही है भारतीय अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत हो सकती है , स्टॉक
खत्म हो रहे अब कोरोनावायरस महामारी भी बड़ी चोट पहुंचा रही है।
-चाइनीज कंपोनेंट पर निर्भर ऑल इंडिया मोबाइल
रिटेलर्स
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने 2020 के लिए
भारत की ग्रोथ मोबाइल,लेक्ट्रॉनिक्स, होम रेट
का अनुमान आधे से ज्यादा कम करते अब सिर्फ 2.5% कर दिया है।
लोगों की नौकरियों पर भी असर पड़ेगा लॉकडाउन के बाद आने वाले समय में एसएंडपी और सेक्टरों में
काम करने वाले लाखो लोगो की नौकरिया 15-20 फीसदी घट सकती है। रिक्रूटमेंट एजेंसी के रोजगार
पर खतरा आ सकता है। करोड़ रुपए तक का नुकसान हो सकता है।2020 में भारत
में आमदनी में तेज गिरावट हो रही है।
दुनियाभर में वित्तीय गतिविधियां ठप होने से
भारतीय बाजार 'दो महीने में 40 फीसदी
टूटे देश के शेयर बाजार मिडकैप 32% और स्मॉलकैप 39% तक
लुढ़के ।
भारत बंद के दौरान शेयर बाजारों में पिछले दो
महीने में निवेशकों के बैंकिंग सेक्टर के शेयरों ऑटोमोबाइल कंपनियों विदेशी
निवेशकों में करीब 40
फीसदी की गिरावट आई है। लगातार सातवें हफ्ते गिरे
सेंसेक्स-निफ्टी रुपया और कमजोर हो रहा
है।
बजाज ऑटो के वैदिक मंदी की आशंका में भारतीय
पूंजी बाजार से 25.50 प्रतिशत बाजार में
ऐतिहासिक लुढ़क गए। अन्य बैंकिंग तथा वित्तीय शेयर 8.75%
टूट गए। बाजार विशेषज्ञों के अंक पर
बंद होने वाला सेंसेक्स पिछले ज्यादा की रिकॉर्ड गिरावट में बंद हुए। और
आईसीआईसीआई बैंक के 1.62 में 8.45% की गिरावट रही। अन्य अनुसार कोरोना वायरस के
प्रभाव को थामने के लिये सप्ताह शुक्रवार को 29,815.59
जिससे निवेशकों के 14.22 लाख प्रतिशत टूटे।
वहीं कोटक महिंद्रा बैंक कंपनियों में अल्ट्राटेक सीमेंट के
शेयर दनिया भर में लॉकडाउन हो रहे है। इस प्रकार इसमें करोड़ रुपए डूब गये।
कोरोनावायरस से मंदी के खतरे पर दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों की एक राय, रिकवरी की गति पर मंथन कोरोना महामारी जितनी लंबी खिंचेगी, अर्थव्यवस्था की रिकवरी में उतना ज्यादा समय लगेगाः विशेषज्ञ
सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र के व्यवहार से तय होगी रिकवरी तेज गिरावट के बाद तेज रिकवरी की उम्मीद लगातार कम हो रही, मंदी के लंबे दौर का खतरा अगर मई तक संक्रमण रुका या जून तक कंट्रोल हुआ तो तेज रिकवरी संभव नहीं हो पायेगी।
कोरोनावायरस से मंदी के खतरे पर दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों की एक राय, रिकवरी की गति पर मंथन कोरोना महामारी जितनी लंबी खिंचेगी, अर्थव्यवस्था की रिकवरी में उतना ज्यादा समय लगेगाः विशेषज्ञ
सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र के व्यवहार से तय होगी रिकवरी तेज गिरावट के बाद तेज रिकवरी की उम्मीद लगातार कम हो रही, मंदी के लंबे दौर का खतरा अगर मई तक संक्रमण रुका या जून तक कंट्रोल हुआ तो तेज रिकवरी संभव नहीं हो पायेगी।
सरकार के ऐलान पर भी बाजार की नजर रहेगी।
F.A.Q. :
प्रश्न : RBI भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी को कैसे हल कर सकता है?
उत्तर : RBI का भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत महत्तपूर्ण रोले भूमिका है क्योकि वही बैंको के निर्धारण, मनी कण्ट्रोल निति में काम करती है , रेपो रेट घटाकर , व्याज दर कर करके , छोटे - छोटे उद्योगो को काम दर में लोन उपलब्ध करके , बड़े और मझले कारोबारियों में उत्साह का कार्य कर सकती है जिससे निवेश को समर्थन मिल सके।
प्रश्न : इंडिपेंडेंस के समय भारत की इकॉनमी।
उत्तर : इंडिपेंडेंस के समय भारत की अर्थव्यवस्था का ज्यादा प्रभाव नहीं था क्योकि ज्यादा लोग कृषि आधारित थे। देश आजाद हुआ था , बटवारा हुआ था देश में तो स्थानीय निवासी अपनी का निर्धारण स्थानीय व्यवस्था के आधार पर करता। परन्तु भारत की ग्रोथ अर्थव्यवस्था आजादी के बाद बढ़ना चालू हुयी।
प्रश्न : रेलवे ने भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना को सकारात्मक और नकारात्मक रूप से प्रभावित किया। The railway affected the structure of the Indian economy positively as well as negatively.discuss
उत्तर : भारतीय रेल, इतिहास में कभी नहीं रुकी वर्ष 1947 आजादी के व्यक्त , भारत - पाकिस्तान बटवारे के समय भी नहीं।
चूँकि अबकी भारतीय रेल देश में बहुत बड़ी हो चुकी है और उसका भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। भारतीय रेलवे जीडीपी में रोजगार सृजन, माल ढुलाई संग्रह, ई-कैटरिंग सेवाओं आदि के माध्यम से प्रमुख योगदान देता है। हाल ही में ई-टेंडरिंग की ओर कदम बढ़ने से लाभ और संपूर्ण विकास में योगदान के आकलन में मदद करती है। रेवेन्यू 1.874 ट्रिलियन (यूएस $ 26 बिलियन) का राजस्व, माल राजस्व में 1.175 ट्रिलियन (यूएस $ 16 बिलियन) और यात्री राजस्व में रूपीस 501.25 बिलियन (यूएस $ 7.0 बिलियन), 96% प्रतिशत के ऑपरेटिंग अनुपात के साथ। चूँकि अभी नेट इनकम जीरो 00 है तो आप ही अनुमान लगा सकते है की इस लोकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया।
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