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स्पेस स्टेशन या एस्ट्रोनॉट का अंतरिक्ष में घर |
साइंस और खासतौर
पर यह स्टेशन हमेशा दिलचस्प विषय रहा है।भौतिक विज्ञान ,
अंतरिक्ष विज्ञान (स्पेस साइंस) और स्पेस में रूचि रखने वालो लिए यह
रोमांचक कर देने वाला है। अंतरिक्ष में बने इस स्पेस स्टेशन को एस्ट्रोनॉट
का घर भी कहते है जहाँ वे कई कई दिनों तक शोध करते है।
स्पेस स्टेशन
क्या है ?
स्पेस स्टेशन एक
स्पेसक्राफ्ट होता है, जिसमे अंतरिक्ष यात्री
(एस्ट्रोनॉट) रहकर कई तरह के प्रयोग करते रहते है। यह पृथ्वी की निचली कक्षा में
रहकर चक्कर लगता रहता है। यह लम्बे समय तक स्पेस में रहता है और इससे दूसरा स्पेसयान भी जुड़ सकता है। इसे
आप अपने नग्न आँखों से भी देख सकते है।
एस्ट्रोनॉट क्या
है ?
अंतरिक्ष
यात्रियों को एस्ट्रोनॉट कहते है जो अंतरिक्ष में बने स्पेस स्टेशन पर रहते है और
वहां रिसर्च शोध करते है।
गगनयान मिशन के
तहत भारत भी अंतरिक्ष में अपने एस्ट्रोनॉट भेजना का प्रोजेक्ट शुरू कर चूका है
जिसके तहत रूस में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के तौर पर प्रशिक्षण चल रहा है।
हालाँकि भारतीय
मूल की अंतरिक्ष यात्री एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स भी इंटरनेशनल
स्पेस स्टेशन (ISS ) में कार्य कर चुकी है जोकि
अमेरिकी स्पेस रिसर्च सेंटर नासा में कार्ययत थी।
अभी अंतरिक्ष में
दो स्पेस स्टेशन है। इनमे से एक इंटरनेशनल
स्पेस स्टेशन (ISS ) है जो 05 स्पेस एजेंसियो के बीच
जॉइंट प्रोजेक्ट है नासा (अमेरिका) , रॉसकॉमास (रूस) ,
एसा (यूरोप), CSA (कनाडा) और जाक्सा (जापान)
के सहयोग से चलाया जा रहा है, इसे ही कहते है। दूसरा स्पेस
स्टेशन चीन का है जिसका नाम तिआनगोंग -2 है।
भारत भी गगनयान
मिशन के लिए 4 अंतरिक्ष यात्री (एस्ट्रोनॉट) अंतरिक्ष में भेज रहा है जिनकी
ट्रेनिंग रूस में चल रही है। अभी भारत का
कोई स्पेस स्टेशन नहीं है , गगनयान मिशन के बाद भारत
भी स्पेस स्टेशन के प्रोग्राम पर फोकस करेगा।
इंडियन स्पेस एजेंसी इसरो ने भी 2029 तक अपना
स्पेस स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS
) सबसे लोकप्रिय स्पेस स्टेशन में से एक है इसे 1998 में अंतरिक्ष
में स्थापित किया गया था।
इंटरनेशनल स्पेस
स्टेशन (ISS
) के 62 वें अभियान के तहत तीन एस्ट्रोनॉट 17 अप्रैल 2020, दिन शुक्रवार को सुबह पृथ्वी पर उतरे। नासा के जेसिका मीर ,एंड्र्यू मॉर्गन और रुसी एजेंसी रॉसकॉमास के ओलेग स्क्रिपोचका 200 से
ज्यादा दिनों तक स्पेस में रहे। एक महीने के मेडिकल ऑब्जरवेशन के बाद इनका कोरोना
टेस्ट भी होगा।
इंटरनेशनल स्पेस
स्टेशन (ISS
) पर 200 से ज्यादा दिन बिताने के बाद रूस का सोयूज यान तीनो
अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर 17 अप्रैल 2020, दिन शुक्रवार की
सुबह कज़ाकिस्तान के देझेजकजान इलाके में उतरा।
स्पेस एक्सपर्ट कहते है ही स्पेस स्टेशन मुख्य
रूप से साइंटिफिक रिचार्ज के लिए होते है।
यह मुख्यतः पृथ्वी से 400 किमी की हाइट पर स्थापित किये जाते है ,
यहाँ पर यह लगातार पृथ्वी के चक्कर लगाते रहते हैऔर यह लगभग 92 मिनट
में पृथ्वी का चक्कर लगाता है और प्रति दिन 15.5 परिक्रमा पूरी करता है। इंटरनेशनल
स्पेस स्टेशन की बात करे तो इसके स्पीड 28 हज़ार किमी प्रति घंटा है और इसका वजन 4
लाख किलो है। इसका आकर फुटबाल ग्राउंड के लगभग जितना बड़ा है।
क्या आपको पता है
स्पेस स्टेशन को लॉन्चिंग के बाद अंतरिक्ष में ही तैयार किया जाता है और इसके
रिपेयर &
मेन्टेन्स का कार्य चलता रहता है और संभावित भविष्य के मिशन चंद्रमा, मंगल और क्षुद्रग्रहों (स्टोरॉइड ) आदि के लिए लौ अर्थ ऑर्बिट में आधार बनाना है ।
एक अंतरिक्ष यात्री (एस्ट्रोनॉट)
को कम से कम 6 महीने अंतरिक्ष में रहना पड़ता है।
आईएसएस एक
सूक्ष्म गुरुत्व और अंतरिक्ष पर्यावरण अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता
है जिसमें चालक दल के सदस्य (क्रू मेंबर्स ) जीव विज्ञान,
मानव जीव विज्ञान, भौतिकी, खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में
प्रयोग करते हैं।चंद्रमा और मंगल ग्रह के मिशन के लिए आवश्यक अंतरिक्ष यान
प्रणालियों और उपकरणों के परीक्षण के लिए स्पेस स्टेशन अनुकूल है।
स्टेशन को दो
वर्गों में विभाजित किया गया है, रूसी कक्षीय खंड
(आरओएस), जो रूस द्वारा संचालित है, और
संयुक्त राज्य अमेरिका कक्षीय खंड (यूएसओएस), जो कई देशों
द्वारा साझा किया जाता है। Roscosmos ने 2024 तक ISS के माध्यम से निरंतर संचालन का समर्थन किया है, लेकिन
पहले OPSEK नामक एक नए रूसी अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के
लिए रूसी खंड के तत्वों का उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है । यह रुसी स्पेस स्टेशन
2030 तक संचालित होने की उम्मीद है।
पहला ISS
घटक 1998 में लॉन्च किया गया था, जिसमें पहले
दीर्घकालिक निवासी 2 नवंबर 2000 को आए थे। तब से, स्टेशन 19
वर्षों और 176 दिनों तक लगातार कब्जे में रहा है। मीर द्वारा आयोजित 9 साल और 357
दिनों के पिछले रिकॉर्ड को पार करते हुए, यह पृथ्वी की कक्षा (लौ अर्थ ऑर्बिट) में सबसे
लंबी निरंतर मानव उपस्थिति है।
ISS सोवियतों
द्वारा स्थापित किये जाने वाला नौवां अंतरिक्ष स्टेशन है, जो
सोवियत और बाद में रूसी साल्युट, अल्माज़ और मीर स्टेशनों के
साथ-साथ अमेरिका से स्काईलैब के बाद आता है। स्टेशन पर विभिन्न प्रकार के अंतरिक्ष
यान आते हैं: रूसी सोयुज और प्रोग्रेस, यूएस ड्रैगन और
सिग्नस, जापानी H-II ट्रांसफर व्हीकल
और पूर्व में यूरोपियन ऑटोमेटेड ट्रांसफर व्हीकल।
भारत के स्पेस
स्टेशन होने के फायदे ;
- भारत की ना केवल अंतरिक्ष में बल्कि पृथ्वी में भी निगरानी की क्षमता कई गुनी बढ़ जाएगी।
- भारतीय साइंटिस्ट के लिए सुनहरा मौका होगा स्पेस में एक्सपेरिमेंट के लिए।
- दुश्मन देशो में आसानी से निगरानी राखी जा सकती है।
- अंतरिक्ष में बार बार निगरानी रखने के लिए उपग्रह भेजने की जरुरत नहीं रह जाएगी जिससे स्पेस खर्च में भी कमी आयेगी।
- दुनिया में स्पेस पावर में भारत के पकड़ और मजबूत होगी।
इंटरनेशनल स्पेस
स्टेशन कैसे देखे ?
आप अपने गूगल
स्टोर से ISS हद Live app डाउनलोड
कर लीजिये और अपनी लोकेशन चालू कर
लीजियेगा फिर जब फिर स्पेस स्टेशन आपकी लोकेशन पर आने वाला होगा तो वो आपको
नोटिफिकेशन दे देगा जिससे आप उस सही समय पर अपनी चाट के ऊपर से उसे देख पाएंगे।
इस एप में और अभी
बहुत चीज़े है आप खुद चलाये समझ जायेंगे बहुत एडवेंचर और मनोरंजित कर देने वाला है।
नोट :-अधिक जानकारी के लिए कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें ।
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